शारदा स्तुति (Sharda Stuti)
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शारदा स्तुति
हरिगीतिका छंद (२८ मात्रिक १६,१२ पर यति)
है हंस पर आरूढ़ माता, श्वेत वस्त्रों में सजी।
वीणा रखी है कर तिहारे, दिव्य सी सरगम बजी॥
मस्तक मुकुट चमके सुशोभित, हार पुष्पों से बना।
फल फ़ूल अर्पण है चरण में, हम करें आराधना॥
संगीत का आधार हो माँ, हर कला का श्रोत हो।
जग में प्रकाशित हो रही जो, वेद की वह ज्योत हो॥
वरदायिनी पद्मासिनि माँ, अब यही अभियान हो।
हम सब चलें सत्मार्ग पर अब, ना हमें अभिमान हो॥
माँ शारदे ये वर हमें दे, बुद्धि का विस्तार हो।
अपनी इसी पावन धरा पे, धर्म का संचार हो॥
श्रद्धा सहित
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सुर - डॉ सुभाष चंद्र रस्तोगी
लेखन - विवेक
संगीत - अमोल
96 tập